Tuesday, May 3, 2011

वज्रपात (प्रेमचंद) - Vajrpat (Premchand)

निम्नलिखित कहानी प्रेमचंद की ही है, इस बारे में अब मैं पूरा आश्वस्त हूँ| इस कहानी को ढूँढने में मेरा जाने कितना वक्त जाया हो गया| पर आखिरकार मिल ही गयी| अब दिल को कुछ सुकून मिला है और लग रहा है कि इतना वक्त यूँ ही बर्बाद नहीं किया| कुछ तो फलसफा मिला|


बहुत पहले ये मैंने किसी कबाड़ में पड़ी मिली एक किताब में पढ़ी थी| होगी कोई 40-50 साल पुरानी किताब| शायद मेरे नाना की थी| मुझे अपने मामा के किताबों के पुराने store में मिली थी| दीमक लगभग आधी से ज्यादा किताब को खा चुकी थी| पर ये कहानी मेरे पल्ले पड़ गयी|


फिर कुछ वक्त बाद वो किताब कहीं खो गयी मुझसे| मैं करीबन डेढ़-दो साल से इस कहानी को खोजता रहा| प्रेमचंद की जाने कितनी ही किताबें छान डाली| पर नहीं मिली| दो साल से net पर भी ढूंढ रहा हूँ| और असफलता हाथ लगी| Yahoo!! answers पर मैंने ये प्रश्न डाला कि यदि किसी को पता हो तो बता दो इस कहानी का कोई स्रोत| पर जाहिल गंवार लोग वही Wiki के links देकर हवाला देते कि वज्रपात नाम से कोई कहानी कभी प्रेमचंद ने लिखी ही नहीं| अरे मूर्खों, अगर ये इतनी आसानी से Wiki पर मिल जाती तो मैं खुद ना ढूंढ लेता? खैर, आधी से ज्यादा दुनिया के लिए ऐसी कोई कहानी शायद कभी हुयी ही नहीं|


आखिरकार, कर मुझे ये कहानी मिल गयी| और इसे अब मैं यहाँ upload कर रहा हूँ ताकि मेरी तरह अगर कोई और भी इस कहानी को ढूंढ रहा हो कम से कम अब सीधा Google ही उसे मेरे blog तक पँहुचा दे :) कहानी निम्नलिखित है|

वज्रपात (कहानी) - प्रेमचंद द्वारा लिखित|

भाग-एक
दिल्ली की गलियाँ दिल्ली-निवासियों के रुधिर से प्लावित हो रही हैं। नादिरशाह की सेना ने सारे नगर में आतंक जमा रखा है। जो कोई सामने आ जाता है, उसे उनकी तलवार से घाट उतरना पड़ता है। नादिरशाह का प्रचंड क्रोध किसी भाँति शांत ही नहीं होता। रक्त की वर्षा भी उसके कोप की आग को बुझा नहीं सकती।