Wednesday, September 21, 2011

Zensar में क्या हुआ...


17 सितम्बर को College Placements के चलते, PO ने मुझे, सारस्वत को और पूनिया को बताया कि Zensar का Pool Campus मराठावाड़ा मित्रमंडल कॉलेज में है| अब चूंकि कोई भी जाने के लिए इच्छुक नहीं था, PO ने मन ही मन सोच लिया कि कंपनी को फोन कर के बोल देगा कि कोई नहीं आ रहा| मेरे और सारस्वत के आग्रह पर एक सुझाव उसके दिमाग में घुस गया कि कंपनी cancel करने से बेहतर है कि कुछ गिने चुने students चले जायें पर वो गिनी ना जाये| पूनिया और सारस्वत का जाना तय हो गया| मुझे अगले दिन कॉलेज में ही रुकने को कहा गया ताकि Druva और PSPL से सम्बंधित कुछ मसलों में छात्र / छात्राओं की सूची तैयार कर सकूँ|

बाहर आये| हमारे पास उन सबके नाम थे जिन्हें जाने के लिए हमें एक बार पूछना था (आखिर जाना तो था ही नहीं किसी को)| आरुषी मिली तो बोली "यार compulsary है क्या?"| "नहीं, पर चले जाओ तो घटा क्या है?" हमारा जवाब था| अंततः बात ये रही कि कुल मिलाकर चार लोग final हुए जो अगले दिन सुबह सुबह कूच करने वाले थे| जिनमें इन दो के अलावा नंदू (नांदल) और निंजा (दीपक) थे| वो भी सिर्फ feel लेने के लिए जा रहे थे| कोई खास intentions तो थी ही नहीं|

18 Sept: सुबह सुबह नंदू ने मेरे कमरे का दरवाज़ा पीट-पीट के जगा दिया| सीधे सपाट शब्द थे "तू चल रहा है"|
"फिर यहाँ मेरा काम कौन संभालेगा?"
"चुंडी है| कर लेगा| चुपचाप चल| कोई तो PR होना चाहिए"|
और यही बात सारस्वत ने कही "ओए गाँधी, तू चल रहा है"| तभी तरुण सारस्वत के कमरे पे आ के बता गया कि पूनिया नहीं जा रहा| वो सो रहा है| सात बजे तक हम चार निकल लिए| वाड़ी पहुँचे तो पूनिया का फोन आया कि हम कहाँ हैं? वो पीछे पीछे आ रहा था|

MMCOE पहुँचे| एक तो कंपनी के लाख नखरे| ये भी चाहिए, वो भी चाहिए| हर फरमाईश उनकी पूरी करो| कोई backlog न हो, जावा के अलावा हज़ार languages और आती हों| चार-चार rounds| और धन? मात्र 3 लाख| ये AIT से उठाने वाली सबसे कम package वाली कंपनी थी| कोई क्यों जाएगा? सारस्वत और पूनिया का तो सीधा दूसरा round था| नंदू और निंजा ऊपर चले गए पहला round देने (अनमने)| अब यहाँ से शुरू हुआ बदलाव|

पूनिया और सारस्वत का GD होना था| पूनिया ने मुझसे कहा कि उसकी जगह GD में मैं बैठ जाऊँ| अब चूंकि पूनिया की पहले से तीन-तीन placements हो चुकी हैं और ये उसकी चौथी होने वाली थी, हम पकडे भी गए तो पूनिया को दिक्कत नहीं होती| वैसे भी कौन पूछता है| मैंने कहा "अगर clear हो गया तो अगला round Technical Interview है| वो मेरे बस का नहीं है| वहाँ क्या करूँगा?"
"एबे काट के आ जाना" (वो ऐसे ही बोलता है)| पूनिया को बहुत अच्छी तरह से पता था कि GD में उसका कटेगा| उसके आग्रह पे मैंने थोडा सोचा, पर मजाक के मूड में|

सारस्वत तो chill था| मुझे भी अभी तक sure नहीं था कि उसकी जगह वाकई बैठूँगा या नहीं| मैं ComViva की T-Shirt पहने हुए, लग ही नहीं रहा था कि candidate हूँ| Lappy पे pacman खेल रहा था| तभी कंपनी वाले बंदे आये|
"आप candidate हैं?"
"अ.अ..अ.. हाँ!!" दबी दबी आवाज़ में मैंने हाँ भर दी क्योंकि अभी तक मुझे लगा कि पूनिया की जगह बैठना शायद सिर्फ मजाक था| अगर पक्का हो जाता तो बहुत यकीन के साथ हाँ भरता|
"नहीं, मुझे लगा कि ना तो आप uniform में हैं, और ऊपर से game भी खेल रहे हैं (बाकि candidates किताब चाटने में लगे हुए थे)| खैर जल्दी से फलां-फलां रूम में पहुँच जाओ| अब तो उन्होंने मेरी शकल भी देख ली| दो अलग अलग पैनल में GD चला दिया| अब मैंने पूनिया के साथ अपना I-Card बदल लिया| उसकी DOB और उसके पापा का नाम हाथ पे लिख लिया और याद कर लिया| मैं (यानि अब पंकज पूनिया) और सारस्वत एक साथ ही थे| हमें मिला कर हमारे पैनल में 10 लोग थे (6 लड़कियाँ, 4 लड़के)| शुरू होने से पहले सारस्वत अपने साथ बैठी लड़की से बात करने लग गया| बंदी का नाम था 'केतकी'| (Senti part started)| बंदी की शायद ये dream company थी जिसे हम इतना त्यज समझ रहे थे| उनके कॉलेज में 4-5 तो कंपनी कुल आती हैं| और वही इतने कम बच्चे ले जाती हैं| यहाँ उसे आस जगी थी कि आज उसका हो जाएगा| बंदी मासूम सी, प्यारी थी| शायद अपने भाई का दिल डोल गया हो उस पे| बंदी ने पहले कभी GD किया नहीं था| डरी डरी भी लग रही थी| हम दोनों ने उसका हौसला बढ़ाया और कुछ समर्थन भी दिया|

खैर, सारस्वत और मैंने एक stand लिया| 20 लोगों में से 6 का GD clear हुआ और उसमें मैं, सारस्वत और केतकी, तीनों थे| और तो और, मेरा और सारस्वत का नाम list में top था| बाहर आये तो PO की फटी पड़ी| इतना डरा हुआ कि हाय ये क्या हो गया| नाम बदल के कैसे बैठ गया? उसे शांत किया| फिर भी उसने अपना पल्लू झाड लिया कि "पकडे गए तो मैं ज़िम्मेदार नहीं हूँ, हाँ?"

और यहाँ मुझे पूनिया का चरित्र भी खराब लगा| उसका PO को ये बोलना, कि नितिन को GD की आदत नहीं है, इसलिए वो सिर्फ practice करने के लिए अंदर बैठा है, उसे तो साफ़ बचा ले गया, पर सारा इलज़ाम मुझ पर दाल दिया as if मैंने कहा हो कि "पूनिया, please तेरी जगह मुझे बैठने दे यार"| फिर भी मैंने और सारस्वत ने PO को शांत कर लिया|

"अरे chill...!!"
निंजा से मैंने college uniform shirt और tie ली, जो काफी दिक्कत से पहनी| ऊपर से उसका वो छोटा सा कोट भी फसा लिया|

अब क्या? Technical तो कुछ आता नहीं| खैर, काट के ही आना था| पूनिया की चार-चार placements की किसे पड़ी थी| और वैसे भी अपने भाई के लिए भी तो अपना कटाना था| उस बंदी को भी बोल दिया कि तू chill मार, मैं अपना काटने वाला हूँ| मुझे नहीं लेनी (पर ये नहीं बताया कि मैं पंकज नहीं, नितिन हूँ)| वो शुक्रगुजार थी| सिर्फ दो पायदान दूर थी वो मंजिल के| वहाँ बाकी के 3 और भी Unplaced थे| असल में तो हम छः के छः unplaced थे| पर उनकी नज़र में मेरी और सारस्वत की पहले से placement हो रखी है| सारस्वत भी अब तक वैसे कोई खास मूड में नहीं था, पर अब जब यहाँ तक आ ही गए तो उसने हल्का सा संजीदा होने की कोशिश की| सारस्वत को छोड़ कर सभी के चेहरे के आव-भाव ऐसे उड़े-उड़े| चेहरे पीले पड़े थे| डर के मारे पागल और किताबों में घुसे हुए कि ना जाने क्या पूछ लेंगे| सारस्वत को तो वो बंदी इतनी प्यारी लग गयी कि क्या बताऊ!

चौथे नंबर पे केतकी अंदर गयी| कोई आधा घटा उसने साक्षात्कार दिया, फिर सारस्वत अंदर चला गया| आधा घंटा उसने दिया| हँसता हँसता गया था, हँसता हँसता ही बाहर आया| आ के बोला "यार मैं तो हँसे जा रहा था| वो बोले, सचिन हँसो मत| पर हंसी रुके ना|"

अब मेरी बारी थी| तभी उन्होंने lunch-time lunch-time के नारे लगा दिए| Lunch के बाद आये| अब तक नंदू और निंजा वहाँ से चले गए थे और AIT आ गए| मैं अब कमरे में घुसने लगा तो उनकी HR दरवाज़े पर ही थी| बोली "Resume दो|"
"वो तो नहीं है|"
"Resume नहीं है तो आप .... अ.. ये कैसे? आप prepared नहीं थे?"
"लाया था, pen-drive में, pen-drive खो गयी|"
"कहीं online पड़ा हो तो बोलो, मैं अपने data card से निकाल लूँगी|"
"नहीं, नहीं है|"
"Hostel में दोस्तों से मंगवा लो, e-mail"
"वहाँ बिजली नहीं है| दिन में काट देते हैं| ताकि सब सोते ना रहे और class जाएँ|"
"फिर कैसे करोगे?"
"मैं HR से पहले ले आऊँगा" और मैंने एक smile दे दी|

अंदर क्या पेल के आया मैं| आधे से ज्यादा उत्तर सीधे-सीधे बोले "मैंने ऐसा तो कभी सुना ही नहीं, ये तो कभी पढ़ा ही नहीं, ये आता नहीं, ये याद नहीं"| जाते ही बोल दिया था कि C के अलावा कोई language नहीं आती, OOP अभी पढनी शुरू की है| SQL नहीं आती, querries नहीं आती, Java नहीं आती, DBMS के थोड़े थोड़े funde पता हैं|
वो कुछ पूछे तो बता दूं| जब गहराई में जाए तो बोल दूं कि यहीं तक आता है "Definitions पता हैं सर, details में नहीं पता"| Concept बनवा लो कितना ही| जो जवाब दिए, वो chill-type informal तरीके से concept समझा के आ गया कि "पहले ऐसे होता है, बाद में ऐसे, फिर ऐसे"| और भीतर घुसने लगा तो बोल दिया "अभी-अभी तो पढ़ना शुरू किया है सर| इतना ही आता है| अंत में उसने मुझे कुछ पोछने के लिए आमंत्रित किया| तो मैंने कहा कि एक गुजारिश है "AIT काफी दूर है| अगर मैं HR के लिए select हो जाता हूँ, तो कृपा कर के हमारा HR जल्दी करवा देना| ताकि मैं घर-जाकर आराम कर सकूँ| आलिया, बात ये थी कि अपना कटाने के पूरे-पूरे आसार कर आया मैं|

अब कॉलेज के पास एक नजदीकी दूकान से Resume बनाने चल दिए| बना ही रहे थे| तभी सारस्वत का फोन आया कि जल्दी आ, clear हो गया है| मैं पंहुचा तो पता चला कि सारस्वत का नहीं हुआ| मुझे दुःख तो काफी हुआ, पर दुःख से ज्यादा अचम्भा हुआ कि मेरा हो कैसे गया? और अगर मेरा हो गया तो यकीनन सारस्वत मुझसे बेहतर था| उसका तो 200% होना चाहिए था| मन तो सारस्वत का भी दुख होगा, पर उस जैसा sporty बन्दा नहीं देखा| बात को chill लिया, आराम से स्वीकार किया| स्वयं का आंकलन किया और आराम से शांत और ठन्डे दिमाग से अब माहौल का मज़ा लेने लगा| मेरा HR हुआ, मैं बाहर आया और अब सारस्वत ने बताया कि जब मैं resume लेने गया हुआ था, और जब result बताने वाली ने केतकी को कहा कि "sorry, आपका नहीं हुआ", वो बहुत मायूस हो गयी थी| सारस्वत से उसका चेहरा देखा नहीं गया| और ये सुन कर पत्थर तो मेरे ऊपर भी पड़ गए| बहुत सपने सजा के आई थी वो| और मैं और सारस्वत तो वैसे भी कुछ हद तक सिर्फ मज़े करने गए थे, पर उसके तो career का सवाल था| ऐसा लग रहा था मानो पाप हो गया हो मुझ से| और शायद उतना ही दुःख सारस्वत को भी था, शायद उस से ज्यादा| मगर पूनिया ने दुखी होने का दिखावा किया, जब कि मन ही मन वो खुश था कि चौथी नौकरी मिल गयी, ये बात मैं भी समझ गया था और सारस्वत भी|

सारस्वत ने वैसे flirty nature होने की वजह से केतकी का फोन नंबर उसके resume में देख कर याद कर लिया था| और अब उसने उसे मिला दिया| मिला के मुझे देने लगा कि मैं कम से कम माफ़ी तो मांग लू| आखिर जो बन्दा घंटे भर से चिल्ला रहा था कि काट के आऊँगा, उसी का हो गया| और ये केतकी ने मुझे भी बोल दिया कि तुम बहुत तेज हो, देख लेना, लेकर ही आओगे| पर मारे हया के, मैं फोन को हाथ भी नहीं लगा पाया| उसको तो मेरा असली नाम तक नहीं मालूम| मुझे अभी तक पंकज समझती थी| तभी जब फोन दूसरी तरफ से उठ गया, सचिन (सारस्वत) ने बात कर ली जैसे वो पंकज बोल रहा है| माफ़ी मांगी कि गलती से हो गया, तो बंदी ने "its OK" बोल के फोन काट दिया|

अब लड़की के पास बेशक नंबर सचिन का गया, पर लगा तो यही कि पंकज (यानी मैं) ने फोन नंबर भी चुरा लिया? नाम बेशक किसी पंकज का हो, उसके मन में शक्ल-ओ-सूरत तो मेरी थी| यानी हर तरफ से एक मैं (उसकी नज़र में पंकज) एक निहायत ही बुरा लड़का साबित हो गया| और जब ये ख़याल दिमाग में आया, तभी से सारस्वत तो हँसे जा रहा था| हंसी तो खैर मुझे भी आ रही थी कि बुर फंसे मियाँ, पर दुःख हम दोनों को था| और पूनिया अब भी नकली चेहरा ले के चल रहा था जो साफ़ पता चल जाता है कि अभिनय के अलावा कुछ नहीं है|

उस बंदी को कोई कैसे बताए कि जो लड़का आखिर तक गया है, वो तो खुद अभी तक unplaced है| वो भला किसी का कैसे काटेगा जो खुद की बिगड़ी नहीं बना पाया| जिसके लिए बैठा, उसकी चार-चार placements हो गयी| पर जो दो लड़के वहाँ उसके साथ GD दे रहे थे, वो दोनों भी उसी हालत में हैं, जिस हालत में वो लड़की है|

खैर, चार कंपनी में भी चयनित हो जाने के बाद भी पूनिया की भूख अभी तक मिटी नहीं है और वो और अधिक मौके तलाश कर रहा है| जबकि मैंने और सारस्वत ने आपस में ये निश्चय कर लिया था कि वो लड़की हमारी कोई नहीं लगती, हमारी खुद की भी अभी तक placement नहीं हुयी, पर जहाँ तक संभव हो सकेगा, हम उस लड़की की placement कराने के लिए जी-जान लगा देंगे| और इस के पीछे कोई senti होना या अन्य ऐसी कोई वजह नहीं थी| वजह थी उस लड़की की आखों में टूटते हुए सपने जिन्हें सचिन ने अपनी आखों से देखा था, और मैंने दिल से महसूस किया था|