Sunday, January 10, 2016

सर आप थोडा बहुत लिखवा दिया करो

Teaching Physics in SSC batches is like a collateral damage. एक SSC batch में हर तरह के students होते हैं|
Level of education wise - 12th वाले, Graduates, Post Grads,, 
Subject background wise - Science वाले, commerce वाले, Humanities वाले, polytechnic किये हुए, Army retired and serving भी
Family Background wise - Rural, Urban, semi-urban, Rich families, Economically struggling families

अब इन सारी permutations को आपस में मिला लें, तो एक ऐसा हुजूम मिलेगा जिस में हर individual student को साथ ले कर चलना एक teacher के लिए challenge हो जाता है| लेकिन मैं नहीं मानता कि ये challenge और किसी भी subject में इतना ज्यादा होगा जितना कि Physics में|

इन सभी को इतिहास पढाना है, कोई दिक्कत नहीं - सभी समझते हैं कि जब teacher बोले कि सन 1191 में एक युद्ध हुआ, तो क्या imagine करना है| इस statement को समझना मुश्किल नहीं है| याद रखना या ना रखना किसी student के लिए challenge हो सकता है, लेकिन teacher के लिए समझाना मुश्किल नहीं है|

Geography पढ़नी है? Voila! जितना मैंने पढाने वालो को देखा है, वो concept में कम, और facts पर ज्यादा focus करते हैं| लेकिन फिर भी किसी नए student को समझाना बहुत मुश्किल नहीं होगा| Indian Geography में तो facts ही facts हैं| इस पहाड़ कि सबसे ऊंची छोटी ये है, उस जगह कोयले कि खदान हैं| Physical Geography में भी कोई अधिक कठिन काम नहीं है| ज़मीन सरकी, पहाड़ बने, हवा आई, मानसून गया etc etc.. | आखिर complications तो हैं ही नहीं|

रट्टा मारने वाले हर subject में यही हो रहा है| चाहे Bio हो, चाहे Polity हो| अगर मैंने किसी subject को Physics की भांति Logical होते हुए देखा है, तो वो है सिर्फ Economy| लेकिन वो logic भी कोई ऐसे भयंकर नहीं हैं कि students की diversity किसी तरह की परेशानी बन सके| परेशानी concept खुद हो सकता है, लेकिन वो हर student के लिए similar होगी, irrespective of his/her background| उसे सभी समझेंगे, या फिर कोई भी नहीं समझेगा|

अब बात आती है Physics की| एक simple example लेते हैं| मान लीजिये मैं क्लास में यह वाक्य बोलता हूँ: - 
                "Pendulum की acceleration, उसकी extreme position पर maximum होती है"
अब यहीं पर students में difference आना शुरू हो जाता है| हिंदी वाले तो पगला गए| तो फिर इसी को हिंदी में बोलना पड़ता है:
"किसी दोलक का त्वरण, उसके नितांत बिंदु पर सर्वाधिक होता है"
आधे वो, जो science पढ़ चुके हैं, वो सोचते हैं कि क्या basic सी बात बता रहा है| ये तो हमें आता है| और वो उठ कर जाना शुरू हो जाते हैं| उनके लिए class में कुछ productive नहीं हो रहा| और वो अपनी जगह गलत भी नहीं हैं|

आधे वो, जिनका नाता Physics से 10th class से ही छूट गया था, कई साल हो गए, वो सोचते हैं कि acceleration क्या होती है? Extreme position क्या होती है? अब acceleration समझाने के लिए उनको पहले velocity समझाओ| फिर इतने में से कोई चिल्लाएगा "सर, speed और velocity में अंतर बताइए"| हालांकि उसे आता है, और मैं एक बार velocity समझा दूंगा तो वो अंतर अपने आप clear हो जायेगा, पर कीड़े करने के लिए पूछ रहा है| फिर मेरे पास option है कि मैं उसी पल उस का जवाब दूँ, या ना दूँ| अगर वहीँ जवाब देने लग जाता हूँ, तो lecture बड़ा ही random जाने लगेगा| और 10 students उठ के चले जायेंगे| और अगर जवाब ना दूँ, रुकने को बोलूँ, तो भी 5-6 तो उठ कर जाने ही हैं, ये सोच कर कि teacher को आता ही नहीं|

अब एक समाधान ये है कि मैं हर चीज़ को शुरू से उठा कर चलूँ| अपने शब्दों को इस तरह से manipulate करूँ, कि कम शब्दों में अधिक लोगों को समझ में आये| ना science वालों को ये लगे कि level ही नहीं हैं, और ना ही non-science वालों के ऊपर से जाये| उसके लिए board पर diagram से समझाने के अलावा कोई option नहीं बचता| मगर इसके लिए वक़्त चाहिए| ढेर सारा वक़्त| उस में मैं एक-एक पहलु को छू सकता हूँ| मगर फिर Paramount ने मेरे सर पर बम फोड़ दिया| "सर हम इस छोटे से subject को 30 hours allot नहीं कर सकते| 6 marks का ही तो आता है| अपना syllabus 20 hours में ख़तम कीजिये|"

फिर मैं कुछ syllabus उड़ा देता हूँ| Thermodynamics में से अब Triple point नहीं करवाऊंगा| Gas laws भी उड़ा दिया| Optics में से Reflection, refraction, image formation by multiple mirrors उड़ा दिया| Motion में से Work, Energy उड़ा दिया| अब ये वो topic चले गए हैं, जिन में से भर भर के questions आते हैं| 

यही condition फिर Geography, History, Polity वालों पर भी लगाईं गई| कि सिर्फ 6 marks का आता है| Hours कम कीजिए| और उन teachers ने उल्टा सवाल पूछा "कि वो 6 marks का कहाँ से आता है? syllabus तो पूरा ही करवाना पड़ेगा"| उन लोगों कि चल गई और मैं इस बात से अनभिज्ञ, एक वफादार सेवक की भांति आदेश का पालन करता रहा|

फिर एक दिन मेरे register में CEO का एक note मिलता है "We can't allow 20 hours to this subject. Finish your syllabus in 15 hours. Or else, you will not be paid for extra hours". अब और syllabus काटो| अब Motion में से Newton's laws भी निकल गए हैं| सिर्फ gravity और projectile ही करवाई जाएगी| Waves का अब कहीं नाम भी नहीं लिया जायेगा| Sound में से echo, doppler's effect बाहर| सिर्फ speed of sound करवाऊंगा| Thermo वाले chapter में से अब सिर्फ specific heat, latent heat, and temperature conversion होगा| Melting of ice नहीं होगा| और ये सब students को महसूस हुए बिना|

फिर अगले महीने मैं अपनी salary लेने पंहुचता हूँ| और salary में से 1/3 कमाई काट ली गई है| मैंने पूछा क्यों? तो कहा गया कि आपके hours exceed हुए हैं| अरशद के पास list है| Physics को सिर्फ 10 hours allowed थे| WTF? मैं अरशद के पास गया| उसने एक printout दिखाया जिसमें नया नया rule आया है और हर subject के allowed hours लिखे हैं| 25 History, 25 Geography, 22 Polity, 20 Bio, 20 Economy और Physics को 10? जब मर्ज़ी कोई भी नया rule निकाल देते हैं? कोई survey etc करते भी हैं कि किसको कितना देना चाहिए? और कोई नियम फिर से बनाया भी है तो inform करना बनता है| ना कि printout निकाल के अरशद कि table के नीचे सरका दें|

मैंने सोच लिया था कि अब से syllabus 7hors  में ख़तम है| मैं management के पास नहीं गया| अन्दर से गुस्सा आ रहा था| अब नया syllabus ये था| Fluids का पूरा chapter ही नहीं होगा| कोई Archimedes, Pascal's Bernoulli, Surface Tension, Capillarity नहीं होगी| Kepler के नियम अब से नहीं बताये जायेंगे| Thermo में सिर्फ Celsius-Fahrenheit होगा| Electricity से Ohm's law, resistance, EMI सब निकाल दिया| केवल Electric instruments के नाम बताये जायेंगे| Optics को इस हिसाब से compress किया कि कम वक़्त में maximum efficiency निकले| मेरा Plan ये था कि अब students satisfy नहीं होंगे, तो वो शिकायत करने पहुचेंगे| फिर मुझे बुलाया जायेगा| और तब मैं कहूँगा कि ये सब आप ही लोगो का किया हुआ है| दुनिया में से किसी भी Physics के teacher को ढूंढ लाइए जो 10 hours में सब कुछ करवा सके| लेकिन kya scene है? 80-90% विद्यार्थियों को मेरे पढ़ने से कोई समस्या नहीं है? उल्टा compliments मिलने लगे कि सर! क्या मस्त पढ़ाते हो? मैं मुस्कुरा कर शुक्रिया तो बोल देता हूँ पर मन ही मन ये भी सोचता हूँ कि असली material तो पढाया ही नहीं| लेकिन फिर मन को ये बात चुभती थी| इसलिए मैंने अपने notes बनाये| वो class में बंटवाने लगा| उस के सहारे ज्यादा syllabus कम समय में होने लगे|

एक-दो समझदार students कि complaints आई भी, कि Physics वाले सर बहुत जल्दी जल्दी syllabus उड़ा देते हैं| और मैं चाहता था कि ऐसा कुछ हो| पर कुछ शिकायतों को तो जान बूझ कर management ने नज़रंदाज़ किया| और एक दो पर मुझे कहा गया कि ध्यान रखिये कि स्टूडेंट्स शिकायत ना करें| लेकिन मैं जनता था कि complaint तो आनी ही हैं| मुझ से गलती यही हुई कि मुझे भी दुसरे शिक्षकों की भांति management से भीड़ जाना चाहिए था|

 पहले मैं guarantee लिया करता था कि जो मैं पढाऊंगा उस से बाहर प्रश्न नहीं बन सकता| अब मैं "संभावना" शब्द का इस्तेमाल करने लगा| क्योकि students के साथ honest रहने का भी plan था| अब ये सब जो उड़ा दिया, वो सब कुछ मिला कर भी मैं 15 hours में ख़तम करता था| अब 10 hours में भी students कि complaint नहीं आनी चाहिए, ऐसा management उम्मीद करता है| फिर class में students पूछते हैं, कि सर पेपर में question कैसा आएगा? अब मैं क्या बताऊँ? कि SSC पूछती है कि "अगर Pendulum को एक गिरती हुई लिफ्ट में टांग दिया जाये तो उसका आवर्त काल अनंत क्यों हो जाता है?"

ऊपर से फिर एक दिन माया-चौधरी मुझे बुला कर बोलती है कि आपकी complaint आई है कुछ students कि तरफ से, कि जितना आप करवाते हो उस से उनके exam में questions solve नहीं होते| 
अब मुझे गुस्सा चढ़ना ही था| अप आपको questions भी करवाने हैं? उसके लिए वक़्त दीजिये| या तो students से questions करवा लो, या फिर अपने घंटे बचा लो| 
तो वो कहती हैं कि अपने पढाने के तरीके में वो कला लाइए जिस से दोनों काम हो जायें| इसका मतलब ये हैं कि आप एक अछे teacher नहीं है| ऐसा कीजिये, अपना syllabus ऐसा बनाओ, जिस से past में आये हुए questions cover हो जायें| क्योकि वही यहाँ के sunday को होने वाले tests में डाला जाता है| सब कुछ चाहे ना हो| Students को लगना चाहिए कि उन्हें समझ में आ गया है|

जबकि मैं जो काटने-छांटने के बाद भी करवा रहा था, वो physics का ऐसा हिस्सा बचा था जहाँ से अब भी प्रश्न फंसने कि संभावना बनी रहे| 6 के 6 चाहे ना भी हों, तो भी 4 तो कर के आते लोग| लेकिन अगर सिर्फ उसी को क्लास में चिपका दूँ जो पूछा गया है, तो भविष्य में आने वाले प्रश्न की चिंता नहीं लगती Paramount को| SSC का कोई pattern नहीं है questions देने का| वो कुछ भी पूछ लेते हैं| और माया चौधरी चाहती हैं कि मैं ज्ञान चाहे ना दूँ, ज्ञान का illusion दे दूँ|

अब ये मेरे उसूल के खिलाफ था| मैं वो करवा दूँ जो पहले आया हुआ है? SSC कभी अपने Science के questions repeat नहीं करती| (और ये वाकया, उनको office में नहीं, बल्कि बाहर reception के पास हो रहा था| मैंने कहा कि SSC बहुत अजीब प्रश्न देती है| इस को पढाने के लिए previous year के questions करने से ज़रा भी फायदा नहीं होता| सिर्फ अंदाजा आता है कि questions का level क्या है| मैंने पूरे 5-6 साल के questions को बार बार पढ़ा है कि कोई pattern मिल जाये| लेकिन नहीं मिला| आप जो चाहती हैं उस से एक नंबर भी नहीं बनेगा students का असली पेपर वाले दिन|

और एक दिन माया चौधरी ने कहा कि ये notes बंटवाना हम लोगों के लिए काफी मेहेंग पड़ रहा है| आप कोई दूसरा तरीका निकालिए| तब मैंने अपने सारे notes कि soft-copy बनाई और Online डाल दिए ताकि students उनको download कर सकें| मैं किसी दूकान पर copy नहीं देना चाहता था जिस से students करीद सकें| उसकी वजह थी इस बात से बचना , ताकि कहीं आपस में students बात ना बनाने लग जायें कि "मास्टर का जर्रोर दूकान पे commission होगा"| करीबन 4-5 महीने तक यूँ ही चलता रहा| लेकिन हर किसी के पास laptop, mobile या internet नहीं होता| ऐसे students के request करने पर मैंने फिर वो notes कुछ दूकान दारों को दे दिए|

आज भी विद्यार्थियों को थोड़ी बहुत dissatisfaction हो रही है, उसकी वजह एक तो यह है कि ना तो students समझते है कि previous questions के answers तो वो किसी भी किताब में पा सकते हैं| लेकिन जो आने वाला है उसका हम सिर्फ अंदाजा लगा कर Physics के concepts समझने में वक़्त लगायें तो बेहतर होगा| दूसरी वजह कि मुझे मजबूर किया गया है कम पढाने के लिए| ऐसे में मैं वही करवाऊंगा जो मुझे सबसे अधिक महत्वपूर्ण लगता है आने वाले exams के लिए|

जब 2014 और 2015 के CGL Pre के exams हुए, मुझे बड़ी ख़ुशी हुई यह जान कर कि 2-3 questions लगभग हर पेपर में वही आ रहे हैं जो मैं उस 10 hours में ही पढ़ाता हूँ| और जो नहीं पढ़ाता, उसका reference कहीं ना कहीं मेरे notes में है| तो अगर किसी भी student ने मेरे notes को एक बार भी ढंग से पढ़ लिया होता, तो वो अवश्य और 2-3 questions extra कर आता| Although 100% कि guarantee तो मेरे Notes पढ़ कर भी नहीं है, वरना फिर teacher कि किसी को ज़रूरत ही कहाँ रह जाएगी?

Teacher's meeting में मैंने जब ये मुद्दा उठाया तब राजीव सौमित्र ने इस बात का आश्वासन दिया था कि GS के subjects के hours बढ़ाये जायेंगे, क्योकि उनके हिसाब से GS भी महत्वपूर्ण है| मुझे नहीं लगता कि नीतू सिंह ने कभी GS को महत्त्व दिया हो| राजीव सौमित्र ने बाद में हर subject के teacher से मिल कर उनके लिए कितने hours required हैं, इस कि list बनवा कर संजय शर्मा (academic head) को लिखवाई| हालांकि वह list बने हुए भी 6 महीने से ज्यादा बीत चुके हैं| इस बीच KD Campus का बनना, Court में चल रहे cases वगैरह जैसे events ने अपनी जगह बनायीं| लेकिन अभी तक GS portion को finish करने के लिए जो जल्दबाजी वाली strategy माया चौधरी के समय बनी थी, वह अभी तक कायम है|

मेरा तब तक पढाने का जो जज्बा था, जो दिल खुश हो कर मैं पढ़ाता था, वो शौक Paramount ने मार दिया| अंकुर Sir से मेरी कभी-कभी बात होती है| वो बाहर के Centres में Physics संभालते है| वो भी इस बात से परेशान है कि students के साथ कम से कम Physics में justification नहीं हो रहा| और जब अंशुल ma'm कुछ दिनों के लिए leave पर गई, तब से मुझे bio में भी यही लगने लगा कि सिर्फ total-पूरा हो रहा है|

जब पहला GS Special batch बनाया गया, यह कह कर कि ये UPSC Aspirants के लिए है| मुझे लगा कि यहाँ मौका मिलेगा खुल कर पढाने का| लेकिन ऐसा नहीं हुआ| वह भी 18 hours कि restriction लगाईं गई| अरे तुम UPSC level का करवाना चाहते हो और वहां भी वक़्त नहीं दे रहे? खैर मैंने जितने भी GS batches लिए, सभी में आवश्यकता से अधिक घंटे लिए| जी खोल कर पढाया| वहां यदि मेरी salary कटे तो कटे| फर्क नहीं पढता| आखिर इन विद्यार्थियों कि कुछ उम्मीदें हैं| वो मुझे पूरी करनी हैं| लेकिन ये समाज सेवा मैं SSC batches में नहीं करता| वह जब students extra जानना चाहते भी है तो कभी कभार बता भी देता हूँ| लेकिन साथ साथ GS Batches में admission लेने कि सलाह भी देता हूँ|

इस article के शुरू में मैंने SSC को पढाना "collateral damage" कहा है| वो इसलिए क्योकि उन 10 घंटों में सभी का नुक्सान हो रहा है| नुकसान Science वालों का, क्योकि उन्हें पहले से ही थोडा बहुत आता है, तो इतने कम वक़्त में कुछ ख़ास सीखने को नहीं मिलेगा| नुकसान Arts+commerce वालों का, क्योकि उन्हें कुछ भी नहीं आता तो समझने में जोर पड़ता है जो कम वक़्त में समझना आसान नहीं है| Learning curve in my class rises steep. तो अगर कोई ढीला हो कर बैठा है तो उसने सब कुछ गँवा दिया| जब कि विद्यार्थी कि उम्मीद हमसे बहुत ज्यादा होती हैं| कि ढंग से पढाया जायेगा| नुकसान teacher का, क्योकि वह इतने से समय में अपनी ability का सम्पूर्ण उपयोग नहीं कर सकता| और नुकसान संस्थान का, क्योकि low education quality से नाम खराब होता है|

और मुझे कहा जाता है कि आप क्लास में लिखवाते नहीं हो| लेकिन और कोई तरीका नहीं है|  रट्टा मार लो कि pendulum कि acceleration extreme पर maximum होती है| समझने का वक़्त नहीं है| जो चल रहा है, चलने दो|

(कहीं कहीं मात्राओं कि गलती है, जो मुझे भी नज़र आ रही हैं| पर ये article आराम से लिखने का वक़्त नहीं था, तो spelling mistakes को नज़रंदाज़ करें) :-D