Monday, November 15, 2010

Ashamed of being Indian?

मैं भारतीय हूँ और मैं सदा से इस बात पर गर्व करता आया हूँ| बचपन से ही मुझे गर्व होता था भारत के गौरवशाली इतिहास पर, इसके भौगोलिक परिप्रेक्ष्य पर, इसकी वर्तमान प्रगति की दर पर और भविष्य के प्रति भारत की जागरूकता पर| पर वक्त के साथ मुझे ये महसूस होता गया कि सिर्फ गर्व करना ही सब कुछ नहीं होता| गौरव को बनाये रखने के लिए सतत परिश्रम की भी आवश्यकता होती है| पर आज भारतीय इस बात को भूल गए हैं| "हमारे पूर्वजों ने ये किया, वो किया" - इस तरह की बातों पर सीना चौड़ा करते हैं| पर अभी हम क्या हैं, ये नहीं देखते| किसी ज़माने में भारतीयों ने भारतीयता का परिचय दिया था| पर आज का हर भारतीय सिर्फ कागजी कार्यवाही के लिए ही भारतीय रह गया है ताकि सरकारी नौकरी मिल सके|
क्योंकि वो हर गलत कदम रखने से पहले ये नहीं सोचता कि "मैं एक भारतीय हूँ और ये अधर्म का कार्य करने से धिक्कार है मुझ पर| मैं सभी भारतीयों के पुण्यों को नष्ट कर रहा हूँ| यदि किसी ने देख लिया तो बदनामी का दाग सिर्फ मुझ पर नहीं, उस हर बात, हर चीज़ पर लगेगा जो मुझ से जुडी है| चाहे वो मेरी जाती हो, मेरी कौम या मेरा मुल्क|"


मैं नितिन ग्रेवाल यदि आज चोरी करता हुआ पकड़ा गया तो हर राजपूत, ब्राह्मण, गुज्जार हर जाट को चोर समझेगा, हर मुस्लिम, सिख, ईसाई हर हिंदू को चोर समझेगा, हर चीनी, अमरीकी, जापानी हर भारतीय को चोर समझेगा| ये कोई नहीं सोचेगा कि चोर तो सिर्फ मैं था और पूरी कौम या मेरे पूरे देश का खून कुकर्म में थोड़ी ना सना हुआ है| बुरा तो सिर्फ मैं था| यही हो रहा है आज दुनिया भर के मुस्लिमों के साथ| दुनिया के अधिकाँश गैर-मुस्लिम लोग सभी मुस्लिमों को आतंकवादी की नज़र से देखते हैं| जबकि कुसूर सिर्फ चंद लोगों का है जिसकी सजा पूरी कौम भुगत रही है| और ऐसा ही कुछ हुआ मेरे साथ भी|

Omegle पर जब कोई मिलता है तो मैं बड़ी ही तहजीब से पेश आता हूँ| लोग आते हैं, चले जाते हैं| मज़े लो, बात करो, विचार बांटो और आगे बढ़ो| इंसानियत तो यही है कि ऐसे में तहजीब ही दिखाइए| अनजान व्यक्ति को आप अपनी e-mail ID नहीं देते जबकि ढंग से बात की तो मेरे कुछ दोस्त भी बने जिनसे अब मेरी बिना omegle के ही बात होती है और उन दोस्तों में लड़कियां भी शामिल हैं| पर यहाँ मेरे साथ घाटे चार वाकये मैं ऐसे पेश कर रहा हूँ जो शायद आपको क्षितिज के आगे भी देखने के लिए मजबूर करेगा|

१) एक अँगरेज़ लड़की मिली जो मिलते ही मुझे निर्वस्त्र होने के लिए कहने लगी| और मेरा जवाब था "हम भारतीय अभी भी सभ्य हैं| इसलिए क्षमा करें| यहाँ आपका काम नहीं बनेगा|" साधारण ढंग से बात करने की बजाय उसने गाली दी और चली गयी| मुझे बुरा नहीं लगा क्योंकि गलत वो थी, मैं नहीं| पर शायद इससे उसे कुछ अक्ल आये| उसने औरत जाट की शर्म-हाय को मिट्टी में मिला दिया|

२) दो चीनी बच्चे मिले और वो भी असभ्य बात करने लगे| मेरे मित्र ने कहा कि "चलो हम भी इन्हें गालियाँ दें|" पर चूंकि इससे मैं सिवाय उनके और ज्यादा बिगड़ने में इजाफे के, कुछ नहीं करता| और वो बच्चे हैं तो वैसे भी छवि बनने की उम्र है| इसलिए मैंने उन्हें सभ्य बातें की और थोड़ी देर में वो भी सभ्य बातें करने लगे| वो मेरे कोई नहीं लगते थे फिर भी मैंने उन्हें सही रास्ता इसलिए दिखाया क्योंकि अगर वो वाकई मेरे अपने बच्चे होते तो भी मैं उन्हें अच्छी शिक्षा ही देता| यहाँ तक कि फिर उन बच्चों ने मुझसे कहा कि "You are the coolest guy we have ever met from India". यकीन मानिए, आपको किसी से भी गन्दी बातें करके कभी भी वो मज़ा नहीं आएगा जिस आनंद की अनुभूति आप किसी से अछे शब्दों में दोस्ती बना कर महसूस करेंगे| पर ये सच है कि omegle जैसे साईट से पूरी दुनिया के बच्चों पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है और वो उनके माँ बाप के नियंत्रण में नहीं हैं| भारत में शायद ही ऐसे माँ-बाप हों जो अपने बच्चों पर नियंत्रण नहीं रखते|

३) एक भारतीय लड़का मिला| उसने खुद का कैमरा जान-बूझ कर बंद किया था ताकि मैं उसे ना देख पाऊं| पर वो मुझे देख पा रहा था| शुरू होते ही उसने गालियों की बौछार कर दी| मैं मुस्कुराता रहा| काफी देर बाद मैंने कहा "Can't understand you. Please try english". उसे यकीन दिलाया कि मैं Belgium से हूँ और मुझे उसकी गालियाँ समझ नहीं आयी| इसके "भारतीय" होने का बताने पर मैंने भारत की बडाई की और कहा कि मैं हमेशा भारत आना चाहता था पर मौका नहीं मिला| शायद उस लड़के में सुधार आयें और अगली बार वो सार्वजनिक साईट पर भारत की इज्ज़त की धज्जियां ना उडाये|

४) बहुत बार ऐसा हुआ कि गोरे लोग आये और मुझे देख कर Paki, Terrorists, jehaad-jehaad चिल्लाते| Indian बताने पर भी Black, weed, caste system आदि चिल्लाते| मैं समझ नहीं पाया कि ये गोरे लोग हमसे इतनी नफरत क्यों करते हैं? हम दुनिया के सबसे बेहतरीन doctors और engineers निकालते हैं| हर साल| हमारी mental ability पर दुनिया कायम है| संसार की 13% जनसँख्या भारतीय है| सबसे बेहतरीन Business Schools भारत में हैं| पर वो चिल्लाते हैं "You Indian! Go and dring the urine of cow" और गालियाँ|


सच तो ये है कि जब अपना ही सिक्का खोटा हो तो कर भी क्या सकते हैं? हाँ! हम कमज़ोर हैं| और इस कमजोरी की वजह है कि हम अपना समाज, अपनी संस्कृति से नाक सिकोड़ते हैं| दिखावे के लिए तो उसका अनुसरण भी करेंगे पर मन ही मन उन अंग्रेजों को cool समझकर उन जैसा होने की इच्छा रखेंगे| और इसी चक्कर में अपनी संस्कृति खो देते हैं|

मैं नहीं कहता कि "कौआ चला हँस की चाल, अपनी चाल भी भूल गया" क्योंकि कौआ हम नहीं, वो हैं| हमारी संस्कृति ही हमें हँस बनाती है| पर स्थिति इस उक्ति से कुछ कम भी नहीं है| अब जब भी कोई अजनबी पूछता है कि मैं किस देश का हूँ, तो मैं कहता हूँ "India, the land of love and peace" और फिर आगे बात करता हूँ| पर वो फिर मुझे आतंकवादी बोल कर खिसक लेते हैं| जबकि ऊपर की घटनाओं को देख कर ऐसा तो नहीं लगता कि विदेशी हमसे ज्यादा सभ्य हैं| बल्कि मैं तो इसे उनका "barbarism" और "un-civilised stage" कहूँगा| हम भारतीयों में अब भी शर्म नाम की चीज़ बची हुयी है|

Should the inter caste marriages be allowed?
पर शर्म होना और शर्मसार होना अलग अलग बातें हैं| हमारी तो नाक ही शर्मनाक हो जाती है जब गोरे लोग मुँह के सामने बोलते हैं कि हिन्दुस्तान में Communal riots, corruption, illiteracy, poverty कूट कूट कर भरी है| क्यों हैं ये साम्प्रदायिकता, क्षेत्रवाद, भाषावाद? क्यों आज भी अंतरजातीय विवाह पर आज भी honour-killing हो जाती है? क्यों आज भी एक आम भारतीय सब्जी खरीदते समय दो रूपये के लिए भी रोता है? वो वक्त जब हर हिन्दुस्तानी की जेब में इतना पैसा हो कि दो रूपये क्या, सौ रूपये महँगा भी कुछ हो तो वहन कर सके, अगर उसका बच्चा ice-cream माँगता हो तो वो सोचे ना कि ATM में कितना balance बचा है, वो वक्त तभी आएगा जब हमारी अंदरूनी कमजोरियाँ दूर होंगी| ऐसी कमजोरियाँ जो बीमारी की तरह लग गयी हैं| काश वो वक्त जल्द आये जब हम इन बीमारियों को जड़ से उखाड दें| फिर कोई गोरा किसी हिन्दुस्तानी को weed कहने की हिम्मत नहीं करेगा| और अगर फिर भी किसी ने की, तो फिर तो चुप नहीं बैठेंगे| उन्हीं की जीब फाड़ कर उनके हाथ में दे देंगे| पर अभी हमारे खुद के अंदर कमजोरी है इसलिए हम बोलने के लायक भी नहीं हैं|

उठो देश के जवानों| तुम्हें अपने देश पर गर्व है, इसकी कमजोरियों का ज्ञान है और उन्हें मिटाने का सामर्थ्य भी तुम्हीं में है| वो वक्त कभी भी अपने आप नहीं आएगा| उसे लाना पड़ेगा अपनी क्षमता से| हम लायेंगे| और लाकर ही दम लेंगे| वरना चैन से नहीं बैठेंगे|

If you want to destroy a nation, destroy its culture and heritage. It will get destroyed itself.
-Max Muller

6 comments:

  1. I liked the Omegle thing ...The same thing happened wid me in facebook . And This shows that how true your writings are, based on experiences and lessons learnt from life.
    Gr8 Thoughts !!! Hope me as well as every reader of dis blog try to enculcate the thing u wanted to pondered upon.
    waiting for ur next post ...:)

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  2. kafi achchha tha nitin.........kabhi bhi apne in vicharo se vimukh nahi hona......

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  3. Thanx sir. I will be bringing even better articles.

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  4. Commendable!!
    We being an indian shud be civilizd whch is so precious nd modernisation shud b followd to develop d country not to destroy it.........

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  5. kiya baat hai sir mai to appko avi manta tha.

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